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Share Market Crash: क्या 2025 में नया मार्केट क्रैश आ रहा हैं, जानिए क्या है बाजार के गिरने के 5 बड़े कारण?

Share Market Crash :

Image credit- deccan herald

Share Market Crash Reasons

इस हफ्ते का पहला  कारोबारी दिन यानी सोमवार भारतीय शेयर बाजार के लिए ब्लैक मंडे साबित हुआ।  खुलते ही शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखी गई। बीएसई सेंसेक्स अभी 2800 अंक लुढ़क गया । वहीं एनएसई निफ्टी में भी 914 अंक की गिरावट देखी गई । चलिए जानते हैं कि शेयर बाजार में लगातार बिकवाली क्यों हो रही है?

कल  7 अप्रैल को शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ था । शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में लगातार बिकवाली जारी रही । जाहिर है कि अमेरिकी टैरिफ का असर भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिला  है। हालांकि शेयर बाजार में हो रही गिरावट के कई और कारण भी हो सकते हैं।

क्या है शेयर बाजार में बिकवाली का कारण?

1 .  वैश्विक गिरावट का सीधा असर भारत के बाजार पर 

आज की गिरावट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है—दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट  देखने को मिली  है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति को बताते हुए स्पष्ट किया है कि वह अपनी नीति से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी चीजों को ठीक करने के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है।’

उनके इस रवैये ने दुनिया भर के निवेशकों में डर भर दिया है। एशिया, यूरोप और अमेरिका सभी के प्रमुख बाजारों में तेज गिरावट आई है। जापान का निक्केई 7% टूटा, ताइवान वेटेड 10% गिरा और अमेरिकी बाजारों में Dow Jones 5.50%, S&P 500 5.97%, और Nasdaq 5.73% की बड़ी गिरावट दर्ज हुई। इस वैश्विक गिरावट का सीधा असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर पड़ा, जिससे भारतीय निवेशक भी घबरा गए और बिकवाली तेज हो गई।

  1. टैरिफ के असर को अब तक नहीं किया गया पूरी तरह से कीमतों में शामिल

विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप प्रशासन के इन टैरिफ का असर अभी पूरी तरह से बाज़ार में Priced In (मूल्य में शामिल) नहीं हुआ है। इसका मतलब यह है कि निवेशक अभी भी इस नीति की पूरी गंभीरता को नहीं समझ पाए हैं, और जब यह असर दिखने लगेगा तो बाजार में और गिरावट आ सकती है। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने कहा है कि अगर अमेरिका की ये सख्त नीति जारी रही, तो FY26 में Nifty का EPS (earning per share) लगभग 3% तक घट सकता है, जिससे निफ्टी 21,500 के स्तर तक गिर सकता है। यानी अभी गिरावट की गुंजाइश बाकी है, और निवेशकों को सतर्क रहना होगा।

  1. विकास दर में मंदी की आहट 

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर मंदी की आहट सुनाई देने लगी है। टैरिफ से महंगाई बढ़ेगी, कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा, और उपभोक्ताओं का विश्वास डगमगाएगा। जेपी मॉर्गन ने अमेरिका और वैश्विक मंदी की संभावना को 40% से बढ़ाकर 60% कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका की मौजूदा नीतियां बनी रहीं, तो यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती हैं।

भारत को भले ही सीधे तौर पर उतना नुकसान न हो, लेकिन वैश्विक मंदी का असर यहां भी जरूर दिखेगा। उदाहरण के तौर पर, ट्रंप द्वारा भारत पर 26% टैरिफ लगाए जाने के बाद गोल्डमैन सैक्स ने भारत की विकास दर का अनुमान 6.3% से घटाकर 6.1% कर दिया है। सिटी और QuantEco ने भी 30–40 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट की आशंका जताई है।

  1. विदेशी निवेशकों की फिर से बिकवाली

मार्च में थोड़ी-बहुत खरीदारी के बाद Foreign Portfolio Investors (FPI) ने एक बार फिर भारतीय बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है। अप्रैल में अब तक FPI ने ₹13,730 करोड़ की बिकवाली कर दी है। विदेशी निवेशक वैश्विक अनिश्चितताओं से सबसे पहले घबराते हैं और तेजी से पूंजी निकाल लेते हैं। अगर भारत अमेरिका से कोई सौहार्दपूर्ण समझौता नहीं कर पाया, तो यह कैपिटल आउटफ्लो और भी बढ़ सकता है। FPI की बिकवाली घरेलू बाजार को कमजोर करने वाला बड़ा कारण बन चुकी है।

  1. RBI की मौद्रिक नीति बैठक और Q4 नतीजों की प्रतीक्षा

अभी निवेशकों की नजरें 9 अप्रैल को होने वाली RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि RBI अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है या अन्य राहत भरे कदम उठा सकता है। साथ ही, 10 अप्रैल से TCS जैसी कंपनियों के Q4 नतीजे भी आना शुरू हो रहे हैं। अब सिर्फ कमाई के आंकड़े नहीं, बल्कि कंपनियों के प्रबंधन की व्यापार युद्ध पर राय और रणनीति पर भी निवेशकों की खास नजर रहेगी। नीतिगत अनिश्चितता और कमाई का तनाव का यह दोहरा दबाव भी बाजार में घबराहट को और बढ़ा रहा है।

कब तक थमेगा तूफान?

इन पांचों कारणों ने मिलकर भारतीय शेयर बाजार को आज ऐसा झटका दिया है, जो निवेशकों के लिए लंबे समय तक यादगार बना रहेगा। ऐसे समय में धैर्य, विवेक और रणनीतिक सोच से ही नुकसान को संभाला जा सकता है। यह गिरावट महज एक आंकड़ा नहीं है, यह निवेशकों की आशाओं, सपनों और आर्थिक स्थिरता पर पड़ा एक बड़ा झटका है। ऐसे समय में समझदारी और धैर्य सबसे बड़ी पूंजी है। बाजार गिरते हैं, लेकिन उबरते भी हैं- बस इस तूफान से सुरक्षित निकलना ही सबसे अहम है।

 

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